गोपाल कृष्ण गौ शाला में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा, मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
नीमच – हिन्दू सनातन धर्म का ध्वजा पूरे विश्व मे लहराए व सनातन संस्कृति व संस्कारो का अनुसरण वर्तमान पीढ़ी अनिवार्यत: अमल में लाये व अपने जीवन को सार्थक बनाये। इस हेतु देशभर में कई व्यास पीठो के माध्यम से, कथावाचकों व धर्म प्रवक्ताओं के माध्यम से व्यापक स्तर से प्रचार प्रसार नित्य किया जा रहा है।
गौपाल कृष्ण गौशाला खड़पालिया में विगत दिनांक 24 दिसम्बर से आगामी दिनांक 30 दिसम्बर तक सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन, गौ भक्तो के माध्यम से व खड़पालिया व क्षेत्रवासियों के माध्यम से प्रतिदिन सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक गौशाला परिसर में कथावाचक पण्डित अर्जुन भारद्वाज (तकरावद) वाले के मुखारविंद से कथा का प्रसारण किया जा रहा है।
सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा में प्रतिदिन हजारों महिला पुरुष शामिल होकर, धर्मलाभ ले रहे है। वंही गोपाल कृष्ण गौ शाला खड़पालिया के गौ भक्तो व सेवा समिति के सदस्यों द्वारा बताया गया है कि धर्म प्रवक्ता अर्जुन जी भारद्वाज द्वारा क्षेत्र में जंहा जंहा भी श्रीमद भागवत कथा का वाचन किया जाता है, वँहा से प्राप्त गौ सेवा हेतु दान राशि, हरवर्ष गोपाल कृष्ण गौशाला में भेंट की जाती है। जनसहयोग व व्यासपीठ से प्राप्त गौ सेवा हेतु राशि की वजह से आज गौ शाला का काफी हद तक विकास हुआ है।
वंही वर्तमान में गौ शाला में लगभग 100 से अधिक गौ माता है व लगभग 30 के आसपास बैल भी गौ शाला में है।
शनिवार को भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के प्रसंग के दौरान राजा बलि के दृष्टांत का वर्णन हुआ। जिसमें भगवान वामन के रूप में दानी राजा के पास दान लेने हेतु पहुंचे तब राजा बलि के गुरु ने सचेत किया है की ये भगवान विष्णु है। जो वामन रूप में है। इस पर राजा बलि ने सहर्ष कहा की अगर मेरे द्वारा पर भगवान स्वयं आये है तो में दान देने से पीछे नही हटूंगा।
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर झांकी बनकर आयी। उपस्थित जन ने मंगल गीत गाये, भगवान श्री कृष्ण के झुले को झूला झुलाकर धर्म लाभ लिया। ततपश्चात प्रसादी वितरण हुई। आगामी 30 दिसम्बर को श्रीमद भागवत कथा का विश्राम दोपहर 1 बजे होगा ततपश्चात महाप्रसादी के साथ विसर्जन होगा। गोपाल कृष्ण गौ शाला सेवा समिति व ग्राम खड़पालिया वासी सहित क्षेत्रवासियों ने सभी धर्मप्रेमीजन से अपील की है कि अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ ले।